रतन सिंह जी की छोटी बेटी की शादी 27 अप्रैल को होनी है  । यह तारीख पंडित जी ने दो महीने पहले ही निकाल कर दे दी थी । वर पक्ष और कन्या पक्ष की तरफ के लोगों में खुशी की लहर थी कि चलों हमें कम से कम शादी की तैयारियां करने में दो महीने का समय तों समय मिला ।

दो साल पहले रतन सिंह जी ने अपनी पहली बेटी की शादी बड़े ही शान - बान के साथ की थी जों लोग शादी में शरीक हुए थे उनकी जुबानी मैंने सुना था कि उन्होंने अपनी पहली बेटी की शादी में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए थे उस शादी में किसी भी चीज की कमी नहीं छोड़ी गई थी

अप्रैल महीने के पहले ही सप्ताह में शादी के शानदार कार्ड रिश्तेदारों और जान - पहचान वालो के घरों में पहुॅंच चुके थे कार्ड देखकर सबकी ऑंखे फटी की फटी रह गई क्योंकि कार्ड बहुत ही सुन्दर और शानदार था

आज रतन सिंह जी परेशान थे उन्होंने अपने समधी जी सुधीर कुमार को फोन लगाया शादी की बातें शुरू हुई और जब खत्म हुई और फोन काटा गया रतन सिंह जी के चेहरे पर राहत झलक रही थी लेकिन अगले ही पल उनकी ऑंखों में वही चिंता झलकने लगी

कुछ सोचते हुए रतन सिंह जी अपने कमरे से दो कदम आगे बढ़े ही थे कि सुधा कमरे में आती है सुधा, रतन सिंह जी की दूसरी बेटी है जिसकी शादी 27 अप्रैल को होनी है रतन सिंह जी बोलने ही वाले होते है कि सुधा कहती है कि पापा मुझे आपसे कुछ इम्पोर्टेंट बात करनी है

रतन सिंह जी सुधा की तरफ देखते हुए कहते है कि बेटा ! मुझे भी तुमसे कुछ बातें करनी है लेकिन पहले तुम कहो कि तुम्हें क्या कहना है ??

पापा ! मेरी शादी की सारी तैयारियां लगभग हो चुकी है और आप मेरी शादी में कोई भी कमी नही चाहते हैं यह भी मैं जानती हूॅं लेकिन पापा पिछले दस-पंद्रह दिन में हमारे शहर की जो हालत है वह दिन- प्रतिदिन
ख़राब होती जा रही है प्रशासन ने भी शाम सात बजे से लाॅकडाउन कर दिया है हमारे शहर का कोई ऐसा मोहल्ला नहीं बचा है जिसमें एक भी कोरोना पाॅजिटिव नहीं हो सुधा यह सब एक ही सांस में बोलतीं है

रतन सिंह जी अपनी बेटी की बात ध्यान से सुन रहे होते है सुधा थोड़ी देर रूक कर फिर से बोलती है कि पापा ! मैं जानती हूॅं कि आपकी पहुंच इतनी है कि मेरी शादी में अगर इस लाॅकडाउन में भी 1000 लोग शामिल हो तों आप सब कुछ मैनेज कर सकते हैं लेकिन पापा ! इस शादी में आए 1000 लोगों में से अगर एक आदमी को भी मेरी शादी में शरीक होने के कारण कुछ हों गया तों मैं अपने आप को कभी माफ़ नहीं कर पाऊंगी

रतन सिंह जी सुधा की तरफ देखते हुए कहते है कि बेटा ! तुम क्या कहना चाहती हों क्लीयर मुझे कहो
सुधा कहती है कि पापा ! मैं चाहती हूॅं कि मेरी शादी में हमारे सभी रिश्तेदार और जान - पहचान वाले शामिल हों लेकिन हमारे यहाॅं आकर नहीं बल्कि अपने - अपने घरों में सेफ रहते हुए वे सभी मुझे और निशांत जी को आशीर्वाद दें

रतन सिंह जी आश्चर्य से सुधा को देखते हुए कहते हैं कि यह कैसे संभव है कि इतने लोग एकसाथ ??
सुधा अपने पिता रतन सिंह जी की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहती है कि पापा ! इस मुश्किल घड़ी में हमारे देश के स्कूल और कॉलेज जैसे ऑनलाइन क्लासेस चलाते हैं ठीक वैसे ही मेरी शादी के दिन भी आप ऐसी व्यवस्था करा दीजिए कि सभी मेरी शादी में अपने - अपने घरों में रहकर भी शामिल हों जाएं क्योंकि अभी इस समय की मांग यही है और यह आपके लिए नामुमकिन नहीं होगा हैं ना पापा ??

रतन सिंह जी अपनी बेटी को गले लगाते हुए कहते हैं कि बेटा ! तुमने तों मेरी सारी चिंता ही दूर कर दी मैं भी शादी में शरीक होने वाले की ही चिंता कर रहा था इसलिए मैंने समधी जी से भी बात की थी और उन्होंने भी लगभग यही बात कही थी

मैंने और निशांत जी ने पहले ही बात कर ली थी और निशांत जी ने तों अपने पापा को भी बता दिया था और वह लोग भी हम दोनों की बातों से सहमत थे

अब सुधा की समय की मांग वाली ऑनलाइन शादी की तैयारियां शुरू हो चुकी है

                                              धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

  " गुॅंजन कमल " 💗💞💓